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13 मई 2025

भारत एवं पाकिस्तान में तनाव कम होने के कारण सोमवार को अधिकांश दलहन में

नई दिल्ली। भारत एवं पाकिस्तान में तनाव कम होने के कारण सोमवार को अधिकांश दलहन में मिलों की खरीद कमजोर हुई, जिस कारण अरहर एवं उड़द तथा चना और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान मूंग के दाम स्थिर हो गए।

बर्मा से आयातित उड़द एफएक्यू एवं एसक्यू के भाव में चेन्नई में कमजोर हो गए। उड़द एफएक्यू के भाव मई एवं जून शिपमेंट के 5 डॉलर नरम होकर 805 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए, जबकि इस दौरान एसक्यू उड़द के भाव 5 डॉलर कमजोर होकर 885 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ बोले गए। लेमन अरहर के भाव चेन्नई में मई एवं जून शिपमेंट के 795 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम नरम हो गए हैं, हालांकि इस दौरान बर्मा में इसकी कीमत स्थिर हो गई। घरेलू बाजार में आयातित उड़द के भाव कमजोर हुए, जबकि देसी के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द की कीमतों में हल्की नरमी और भी बन सकती है क्योंकि दाल मिलें उड़द की खरीद जरूरत के हिसाब से ही कर रही है। बर्मा के साथ ही ब्राजील में नई उड़द का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। उधर म्यांमार के निर्यातकों की बिकवाली बराबर बनी हुई है। आगामी दिनों में घरेलू मंडियों में जबलपुर लाइन से देसी उड़द की आवक बढ़ेगी, हालांकि खपत का सीजन होने के कारण उड़द दाल में मांग भी बनी रहने की उम्मीद है। दक्षिण भारत की दाल मिलों की खरीद भी उड़द में बनी रहने की उम्मीद। जानकारों के अनुसार जबलपुर और गुजरात की गर्मियों की फसल आने तक मौसम अनुकूल रहा तो आगे कीमतों पर दबाव बनेगा।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम स्थिर हो गए, जबकि बर्मा में इसकी कीमत स्थिर बनी रही। घरेलू बाजार में अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार पिछले सप्ताह इसकी कीमतों में तेजी आई थी, क्योंकि भारत एवं पाक के बीच तनाव बढ़ा हुआ था। अत: स्टॉकिस्ट दाम तेज कर रहे थे। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बनी रहने की उम्मीद है तथा उत्पादक राज्यों कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम जरूर हुई है। चालू सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में अरहर का उत्पादन अनुमान ज्यादा था, साथ ही बर्मा से लेमन अरहर का आयात बराबर बना रहने की उम्मीद है। केंद्र सरकार लगातार अरहर की कीमतों की समीक्षा कर रही है। इसलिए इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

चना के दाम दिल्ली में 125 रुपये कमजोर हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार पिछले सप्ताह इसकी कीमतों में तेजी आई थी, लेकिन बढ़े दाम पर जहां मिलों की खरीद कमजोर हुई वहीं स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली देखी गई। अत: मौजूदा भाव में हल्की नरमी और भी बन सकता है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की आवक पहले की तुलना में कम जरूर हुई है। लेकिन स्टॉकिस्टों की पास स्टॉक ज्यादा है। बारिश का सीजन शुरू होने के बाद चना की खपत बढ़ेगी, इसलिए आगामी दिनों में दाल मिलों की मांग बढ़ेगी। रबी सीजन में व्यापारी चना का उत्पादन अनुमान कम मान रहे हैं।

देसी मसूर के दाम 175 रुपये कमजोर हुए। इस दौरान आयातित मसूर की कीमतों में भी मंदा आया। जानकारों के अनुसार पिछले सप्ताह मिलों की पैनिक खरीद से मसूर के दाम तेज हुए थे, लेकिन बढ़े दाम पर मिलों की मांग का समर्थन नहीं मिल पाया। अत: स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से इसके भाव में हल्की नरमी और आने का अनुमान है। हालांकि प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक पहले की तुलना में कम हुई है तथा चालू सीजन में मसूर का घरेलू उत्पादन अनुमान कम है। उधर कनाडा में फसल सीजन 2025-26 में मसूर का उत्पादन अनुमान ज्यादा होने का अनुमान है, जिससे आयात बना रहने से इसकी कीमतों पर दबाव बनेगा। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मसूर का उत्पादन 18.17 लाख टन होने का अनुमान है।

मूंग के भाव अधिकांश उत्पादक मंडियों में स्थिर हो गए। जानकारों के अनुसार समर सीजन में मूंग की बुआई बढ़ी है, हालांकि समर मूंग की आवक एक महीने बाद बनेगी। व्यापारियों के अनुसार मध्य प्रदेश के प्रमुख मूंग उत्पादक क्षेत्रों खासकर नर्मदापुरम और इटारसी बेल्ट में पीला मोजेक रोग देखा गया है। हालांकि यह अभी शुरुआती स्तर पर है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में मूंग की आवक पहले की तुलना में कम हुई है। इसलिए मूंग की कीमतों में हल्की नरमी बन सकती है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक ज्यादा है। साथ ही सरकार भी केंद्रीय पूल से लगातार मूंग की बिकवाली कर रही है जबकि दाल मिलें मूंग की खरीद जरुरत के हिसाब से ही कर रही है।

चेन्नई में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये घटकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि एसक्यू के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में उड़द एफएक्यू के दाम 50 रुपये घटकर 7,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि एसक्यू के भाव 75 रुपये कमजोर होकर 8,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कोलकाता में उड़द एफएक्यू के भाव 50 रुपये घटकर 7,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

जयपुर में उड़द के बिल्टी भाव 7,000 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए, जबकि इंदौर में बोल्ड उड़द के दाम 7,500 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 100 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 150 रुपये कमजोर होकर 7,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव शाम के सत्र में 75 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

देसी अरहर के दाम कटनी एवं इंदौर तथा अकोला तथा सोलापुर के साथ ही जलगांव में कमजोर हुए, जबकि अन्य अधिकांश उत्पादक मंडियों में लगभग स्थिर बने रहे।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के भाव कमजोर हो गए। सूडान से आयातित अरहर का स्टॉक नहीं के बराबर है। इस दौरान गजरी अरहर के भाव 50 रुपये घटकर 6250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मतवारा की अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6,200 से 6,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सफेद अरहर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर 6,550 से 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में देसी मसूर के बिल्टी के दाम 175 रुपये कमजोर होकर 6,850 से 6,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर मसूर के भाव 125 रुपये घटकर 5,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कांडला बंदरगाह पर मसूर के भाव 125 रुपये कमजोर होकर 5,975 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हजिरा बंदरगाह पर मसूर के भाव 100 रुपये कमजोर होकर 6,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 100 रुपये घटकर 6,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। पटना में देसी मसूर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में राजस्थान के बेस्ट चना के दाम 125 रुपये कमजोर होकर 5,875 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना का व्यापार 125 रुपये घटकर 5,825 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।

इंदौर में बोल्ड मूंग के भाव 8,300 से 8,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जयपुर में मूंग के बिल्टी भाव 7,100 से 8,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। जलगांव में चमकी मूंग के दाम 7,700 से 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। अकोला में चमकी मूंग के दाम 8,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चावल एवं गेहूं का स्टॉक बफर के मुकाबले ज्यादा, समर सीजन में बुआई बढ़ी - शिवराज सिंह

नई दिल्ली देश में चावल एवं गेहूं का वास्तविक स्टॉक तय मानकों बफर के मुकाबले ज़्यादा है, तथा चालू समर सीजन में भी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई है। किसानों से चना, मसूर, उड़द एवं अरहर की खरीद के संबंध में निर्देश देने के साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा दिल्ली में आयोजित बैठक में अधिकारियों से कहा कि ऐसी व्यवस्था की जाना चाहिए, जिससे कि किसानों को उनकी उपज खरीद का भुगतान होने में देरी नहीं हो।  


केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को बैठक में अधिकारियों ने बताया कि धान, दलहन, श्री अन्न-मोटे अनाज व तिलहन की उपज में प्रगति हुई है तथा ग्रीष्मकालीन बुआई के मौसम में 2 मई तक धान की बुआई में पिछले वर्ष की तुलना में 3.44 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। धान की बुआई वर्ष 2023-24 के 28.57 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 32.02 लाख हेक्टेयर हो गई है, वहीं दलहन की बुआई में भी 2.20 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। दलहन की बुआई वर्ष 2023-24 के 18.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में वर्ष 2024-25 में 20.67 हो गई है। मूंग व उड़द के रकबे में भी 2 मई 2025 तक क्रमशः 1.70 लाख हेक्टेयर और 0.50 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

प्याज, आलू और टमाटर की बुआई में वृद्धि हुई है। प्याज की बुआई में 2.82 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है, जो 2023-24 के 9.76 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 2024-25 में 12.58 लाख हेक्टेयर हो गई है, वहीं आलू के बुआई क्षेत्रफल में भी 0.47 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आलू बुआई का क्षेत्रफल समान अवधि में 19.56 से बढ़कर 20.03 हो गया है। बैठक में बताया गया कि चालू सीजन में टमाटर और प्याज की बुआई सुचारू रूप से चल रही है।

बैठक में बताया गया कि देश में मौसम तथा जलाशयों की स्थिति बेहतर है। पिछले वर्ष की तुलना में कुल जल संग्रहण की स्थिति अच्छी है। 161 जलाशयों में उपलब्ध संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि के संग्रहण का 117 फीसदी और पिछले दस वर्षों के औसत संग्रहण का 114 फीसदी है।

केंद्रीय मंत्री के अनुसार चावल एवं गेहूं का स्टॉक, तय मानकों बफर के मुकाबले ज्यादा है। चावल का वास्तविक स्टॉक 135.80 लाख टन के बफर के मुकाबले 389.05 लाख टन है। गेहूं का स्टॉक 74.60 लाख टन के बफर मानक के मुकाबले 177.08 लाख टन है। इस प्रकार, चावल व गेहूं का स्टॉक 210.40 लाख टन के बफर मानक के मुकाबले 566.13 लाख टन है।

उन्होंने चना, मसूर, उड़द व अरहर की खरीद के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए इस संबंध में राज्यों को विशेष जोर देने को कहा, ताकि किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। एमएसपी पर खरीद व किसानों को होने वाले भुगतान के बीच के समय अंतराल को और कम करने की बात कहते हुए निर्देशित किया कि उपज खरीद के बाद किसानों को जल्द से जल्द भुगतान हो सके, इसके लिए और सुदृढ़ व्यवस्था होना चाहिए।

केरल में मानसून 27 मई को देगा दस्तक, सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना - आईएमडी

नई दिल्ली, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक दक्षिण पश्चिम मानसून 27 मई को केरल तट से टकराएगा। आम तौर पर यह 1 जून को केरल पहुंचता है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगर मानसून 27 मई को आता है तो यह 16 साल में पहली बार होगा जब यह इतनी जल्दी दस्तक देगा। वर्ष 2009 में 23 मई को और वर्ष 2024 में 30 मई को मानसून ने केरल में दस्तक दी थी।


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने बताया कि भारत में इस साल चार महीने के मानसून के मौसम में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद है। इस दौरान 105 फीसदी बारिश हो सकती है, जो औसत बारिश 87 सेंटीमीटर से ज्यादा है।

आईएमडी के अनुसार केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब देश में ज्यादा या कम बारिश होना नहीं है। इसमें कई अन्य फैक्टर शामिल होते हैं। हाल में मौसम विभाग ने बताया था कि इस साल दक्षिणी अंडमान सागर, बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों और निकोबार द्वीपसमूह में मानसून 13 मई को ही आगे बढ़ सकता है। आमतौर पर ऐसा 20 मई के आसपास होता है, लेकिन इस बार एक हफ्ते पहले ही ऐसा हो रहा है। निकोबार द्वीप समूह से केरल पहुंचने में मानसून को सामान्य तौर पर 10 दिन का समय लगता है।

मौसम विभाग के अनुसार 96 फीसदी से लेकर 104 फीसदी बारिश को सामान्य माना जाता है। 90 फीसदी से कम बारिश को कमी माना जाता है और 90 से 95 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से कम माना जाता है। भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून बेहद अहम है। देश में कृषि पर 42 फीसदी आबादी की आजीविका निर्भर है और यह क्षेत्र देश के विकास में 18 फीसदी का योगदान देता है। साथ ही मानसूनी बारिश देश के जलाशयों को भरने और बिजली उत्पादन के लिहाज से भी अहम है।

बीते साल मानसून ने केरल में 30 मई को दस्तक दी थी। वहीं साल 2023 में 8 जून को, 2022 में 29 मई को और 2021 में 3 जून को तथा साल 2020 में 1 जून को मानसून केरल पहुंचा था।

आमतौर पर दक्षिण पश्चिम मानसून एक जून को केरल पहुंचकर 8 जुलाई तक पूरे भारत को कवर कर लेता है। 17 सितंबर से मानसून भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों से पीछे हटना शुरू हो जाता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से विदा हो जाता है।

मौसम विभाग ने अपने अप्रैल महीने के अनुमान में साल 2025 में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की उम्मीद जताई है। इससे अल-नीनो के असर को नकारा जा रहा है, क्योंकि अल नीनो के असर से सामान्य से कम बारिश होती है।

देश में अन्न के भंडार भरे तथा फल सब्जियां भी पर्याप्त - केंद्रीय कृषि मंत्री

नई दिल्ली 9 मई। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को कहा कि देश में चावल एवं गेहूं के भंडार भरे हुए हैं साथ ही दालों का भी बफर स्टॉक है और किसी चीज की कोई कमी नहीं है।


उन्होंने खाद्यान्न भंडारण की समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि जनता को खाद्यान्न की कोई कमी नहीं आने दी आएगी। सरकार ने खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित की हुई है। यह बैठक पहलगाम में आतंकवादी हमलों के बाद पाकिस्तान पर भारतीय सेना की कार्रवाई के मद्देनजर बुलाई गई थी।

बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और ग्रामीण विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों से फसल बुआई, खाद्यान्न, फल-सब्जी उत्पादन तथा उपलब्धता की जानकारी लेने के साथ मौजूदा परिस्थितियों में किसानों को कहीं कोई दिक्कत नहीं आने देने के संबंध में दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है। गेहूं, चावल और अन्य अनाज हमारे पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। बंपर उत्पादन हुआ है तथा किसानों से खरीद भी जारी है। हमारे पास अन्न के भंडार इस समय भरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3322.98 लाख टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 3474.42 लाख टन तक पहुंच गया है।

चावल की भी कोई कमी नहीं है। पिछले साल के 1378.25 लाख टन के मुकाबले इस साल 1464.02 लाख टन उत्पादन हुआ है। पिछले साल गेहूं का उत्पादन 1132.92 लाख टन हुआ था, जोकि इस बार 1154.30 लाख टन उत्पादन अनुमानित है, जिसमें और बढ़ोतरी की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि दालों का उत्पादन भी भरपूर हुआ है, जो 242.46 लाख टन से बढ़कर 250.97 लाख टन हो गया। वहीं कुल तिलहन उत्पादन 396.69 लाख टन से बढ़कर 428.98 लाख टन का हो गया है।

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि फल-सब्जियों का उत्पादन पर्याप्त है। बागवानी फसलों का उत्पादन भी पिछले साल के 3547 लाख टन की तुलना में बढ़कर 3621 लाख टन हो गया है। आलू पिछले वर्ष 570.53 लाख टन था, जो इस बार 595.70 लाख टन है। प्याज 242.67 लाख टन था, जो इस साल बढ़कर 288.77 लाख टन है। इसी तरह टमाटर 213.23 लाख टन से बढ़कर 215.49 लाख टन का हुआ है।

वर्ष 2024-25 में अभी तक 539.88 लाख टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है। इसी तरह 267.02 लाख टन गेहूं किसानों से खरीदा जा चुका है और यह सिलसिला जारी है। चावल एवं गेहूं के भंडार भरे हुए हैं, दालों का बफर स्टॉक हमारे पास है। अत: किसी चीज की कोई कमी नहीं है। अगली फसल के लिए भी किसान तैयार है।

उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में कई बार गांव खाली कराए जाते हैं तो ऐसे में हम यह आकलन भी कर रहे हैं कि वहां अभी कौन सी फसल बोई जाती है, जिसके लिए बीज और अन्य सामग्री भी हम तैयार रखेंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी चर्चा की जाएगी।

09 मई 2025

भारत एवं पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच बासमती चावल के दाम तेज

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पश्चिम एशियाई खरीदारों ने भारत से बासमती चावल से खरीद बढ़ा दी है। अत: चालू सप्ताह में घरेलू बाजार में पूसा 1,509 एवं पूसा 1,121 के साथ ही विभिन्न किस्मों के बासमती चावल की कीमतों में 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है।


हरियाणा के करनाल स्थिर एक राइस मिलर्स ने बताया कि बासमती चावल में निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग चालू सप्ताह में बढ़ी है तथा गुरुवार को करनाल से करीब 150 टन पूसा 1,718 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 7,400 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ। इसी तरह से दिल्ली से निर्यातकों नले 7,511 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 200 टन 1,718 स्टीम चावल के खरीद सौदे किए।

हरियाणा से दिल्ली के व्यापारियों ने पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का व्यापार 6,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किया। जानकारों के अनुसार लगभग सभी प्रकार के बासमती चावल की कीमतों में चालू सप्ताह में 500 से 700 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है, अत: इसमें हल्की करेक्शन देखने को मिल सकती है लेकिन भविष्य तेजी का ही है। दिल्ली के नया बाजार में पूसा 1,509 किस्म के स्टीम बासमती चावल की कीमत 6200-6300 रुपये से बढ़कर 6800 से 6950 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

पिछले साल सितंबर में बासमती चावल की कीमतों में गिरावट शुरू हुई थी, क्योंकि भारत द्वारा स्थानीय आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य लगा देने के बाद वैश्विक मांग कमजोर हो गई थी। केंद्र सरकार न्यूनतम निर्यात मूल्य को हटा लेने के बाद भी, घरेलू बाजार में बासमती चावल की अधिक आपूर्ति के कारण कीमतों पर दबाव बना रहा।

जानकारों के अनुसार विश्व स्तर पर चावल बाजार में डर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से बासमती चावल की आपूर्ति बाधित हो सकती है। अत: वैश्विक खरीदार विशेष रूप से मध्य पूर्व से बासमती चावल की आयात मांग बढ़ी है।

पंजाब एवं हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद चल रही है, जिस कारण मंडियों में धान की आवक नहीं हो रही है। व्यापारियों के अनुसार धान का बकाया स्टॉक अब सीमित मात्रा में ही बचा हुआ है, जबकि राइस मिलों के पास उंचे दाम का धान का स्टॉक है। अत: राइस मिलें नीचे दाम पर बिकवाली नहीं कर रही है।

पूसा 1,121 स्टीम चावल का भाव तेज होकर गुरुवार को दिल्ली के नया बाजार में 8,400 से 8,600 रुपये और इसका सेला चावल 6,700 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इस दौरान 1,401 किस्म के स्टीम चावल का भाव तेज होकर 6,700 से 6,800 रुपये और इसके सेला चावल का भाव 6,200 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। 

चालू समर में धान एवं दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 10.80 फीसदी बढ़कर 76.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 69.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 2 मई 25 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई बढ़कर 32.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 28.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 20.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 18.47 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 17.42 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 15.73 लाख हेक्टेयर और 2.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 14.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 12.95 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 8.82 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 5.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 7.37 और 4.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 46 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 16 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.23 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.31 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.77 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 36,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.11 लाख हेक्टेयर में, 4.73 लाख हेक्टेयर में तथा 31,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। 

सीसीआई चालू सीजन की खरीदी हुई 29 लाख गांठ से ज्यादा कॉटन की कर चुकी है बिक्री

नई दिल्ली। कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई घरेलू बाजार में पहली अक्टूबर 2024 से शुरू हुए फसल सीजन 2024-25 में खरीदी हुई 29 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलो से ज्यादा कॉटन की बिक्री कर चुकी है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने 5 मई को घरेलू स्पिनिंग मिलों को 21,100 गांठ कॉटन बेची। महाराष्ट्र के अकोला में निगम ने 55,000 से 56,300 रुपये प्रति कैंडी की दर से औरंगाबाद में भी 55,000 से 56,300 रुपये प्रति कैंडी की दर से कॉटन की बिक्री। इसके अलावा अहमदाबाद में 55,800 रुपये तथा आदिलाबाद में 55,500 से 56,300 रुपये प्रति कैंडी क्वालिटी अनुसार कॉटन की बिक्री की।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को गुजरात में कॉटन की कीमतों में नरमी आई, जबकि इस दौरान उत्तर भारत में इसके भाव में मिलाजुला रुख रहा।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव मंगलवार को 50 रुपये कमजोर होकर 54,100 से 54,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 15 रुपये घटकर 5765 से 5775 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 10 रुपये नरम होकर 5650 से 5690 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 55 रुपये तेज होकर 5770 से 5900 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के भाव 55,600 से 55,700 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 25,850 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा कारोबार में कॉटन की कीमतों में तेजी आई। एनसीडीईएक्स पर अप्रैल 26 महीने के वायदा अनुबंध में कपास के दाम 19 रुपये तेज होकर भाव 1,589 रुपये प्रति 20 किलो हो गए।  इस दौरान आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन शाम के सत्र में गिरावट का रुख रहा।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण गुजरात में कॉटन की कीमतों में नरमी आई, जबकि उत्तर भारत में इसके भाव में मिलाजुला रुख रहा। व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में सूती धागे में स्थानीय मांग अच्छी है तथा रुई के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे बने हुए हैं जिस कारण स्पिनिंग मिलें अच्छे मार्जिन में व्यापार कर रही हैं। इसलिए मिलों की कॉटन में मांग बनी रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है।

विदेशी बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट का रुख रहा, जबकि घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। राजकोट में कॉटन वॉश के भाव 10 रुपये कमजोर होकर 1,200 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान रायकोट में कॉटन वॉश की कीमत कमजोर होकर 5 रुपये कमजोर होकर 1,200 रुपये प्रति दस किलो के स्तर पर आ गई। धुले में कॉटन वॉश के दाम 10 रुपये तेज होकर 1,205 रुपये प्रति 10 किलो हो गए।

तेल मिलों की मांग सीमित होने से बिनौले की कीमत उत्तर भारत के राज्यों में स्थिर हो गई। हरियाणा में बिनौले के भाव 3950 से 4100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 3950 से 4200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 3950 से 4100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

पशु आहार वालों की मांग बनी रहने से कपास खली की कीमत तेज हुई। सेलू में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमत 20 रुपये तेज होकर 3,470 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 40 रुपये बढ़कर 3,460 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के भाव 50 रुपये तेज होकर 3,550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।